Monday, January 6, 2014

इंसान भटक रहा है...

इंसान भटक रहा है,
अंधेरी गलियो मे,
जहा उजाले की कोई किरण नही,
कहता है हम ईस्वर की बातो,
को मानता हू,
पर हक़ीकत मे कुछ के अलावा,
सब भटक रहे है,
अंधेरी गलियो मे,
इंसानियत, मानवता से दूर कही,
बस जाहिलता की दुनिया मे,